Health & Wellness
25 September 2023 को अपडेट किया गया
कंचनार गुग्गुल सेहत को कई तरह के फ़ायदे होते हैं. चलिए इस आर्टिकल की मदद से आपको बताते हैं कि आख़िक कंचनार गुग्गुल क्या होता है और किन-किन शारीरिक समस्याओं पर काम करता है.
कंचनार गुग्गुलु जिसे कांचनार गुग्गुल के नाम से भी जाना जाता है; एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें अद्भुद मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ होती हैं. यह कई शक्तिशाली जड़ी-बूटियों और मिनरल्स का एक कॉम्बिनेशन है, जिसमें "कंचनार" (Bauhinia variegata) मुख्य तत्व है. "गुग्गुलु" शब्द का अर्थ पेड़ों से मिलने वाले गोंद से है, जो एक बाइंडिंग एजेंट की तरह इन सभी जड़ी-बूटियों को वटी या गोली के रूप में जोड़ने का काम करता है.
आयुर्वेद में लिंफेटिक सिस्टम (lymphatic system) और थायराइड (thyroid) से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में इसका विशेष प्रयोग किया (kanchanar guggulu uses in Hindi) जाता है. कंचनार गुग्गुल बॉडी की क्लींजिंग और डिटॉक्सिफ़िकेशन में बेहद लाभकारी है और इस तरह कंजेशन और इन्फ्लेमेशन को कम करने में इससे अद्भुद लाभ मिलता है. आइये जानते हैं कंचनार गुग्गुल के कुछ (kanchanar guggulu benefits in Hindi) और फ़ायदों के बारे में.
कंचनार गुग्गुलु थायराइड हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में मदद करता है. यह हाइपोथायरायडिज्म के इलाज में विशेष रूप से फ़ायदेमंद है. इसका मुख्य तत्व, कंचनार, थायराइड ग्रंथि को स्टिमुलेट करके थायराइड हार्मोन के प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म और एनर्जी लेवल में सुधार होता है.
कंचनार गुग्गुलु का उपयोग आयुर्वेद में शरीर को डिटॉक्सिफाई करने के लिए किया जाता है. जड़ी-बूटियों और गुग्गुलु की राल यानी की गोंद का स्ट्रांग मिक्स्चर शरीर से विषाक्त पदार्थों और टॉक्सिन को बाहर निकालता है, जिससे बॉडी में हल्कापन आता है, खून की सफाई होती है और डाइजेशन मज़बूत होता है.
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कंचनार गुग्गुलु हार्मोनल असंतुलन को कंट्रोल करने की अपनी गज़ब की क्षमता के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रसिद्ध है. कंचनार, थायराइड और रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़े हार्मोन सहित अन्य हार्मोन्स को भी संतुलित रखता है जिससे थायरायड और पीरियड्स की अनियमितताओं को कम करने में मदद मिलती है.
हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने की अपनी क्षमता के कारण इसका उपयोग पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी स्थितियों में भी किया जाता है. जड़ी-बूटियों और गुग्गुलु का मिश्रण पीसीओएस (PCOS) से जुड़ी दिक्कतों; जैसे - अनियमित पीरियड्स, ओवेरियन सिस्ट (ovarian cysts) और फर्टिलिटी बढ़ाने में बेहद असरदार है.
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कंचनार गुग्गुलु के एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एनाल्जेसिक (analgesic) गुण, जोड़ों और हड्डियों के दर्द को कम करने में भी (kanchanar guggulu ke fayde in Hindi) लाभकारी हैं जिससे गठिया (arthritis and rheumatism) के रोग में आराम मिलता है. मस्कुलोस्केलेटल कंडीशन (musculoskeletal conditions) से जुड़े दर्द और परेशानी में भी इससे राहत मिलती है.
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कंचनार गुग्गुलु कई कारणों से वेट मैनेजमेंट के लिए फ़ायदेमंद माना जाता है; जैसे कि-
आयुर्वेद में कंचनार गुग्गुलु को ब्लड प्यूरीफायर माना जाता है क्योंकि इसकी जड़ी-बूटियों और गुग्गुलु की राल एक नेचुरल प्यूरीफायर का काम करती है जिससे खून में जमा गंदगी और टॉक्सिन को असरदार तरीक़े से फ्लश आउट किया जा सकता है.
आइये अब जानते हैं कंचनार गुग्गुल के प्रयोग (kanchanar guggulu use in Hindi) का सही तरीका.
हालाँकि, कंचनार गुग्गुलु को हमेशा रोग की तीव्रता और व्यक्ति के शरीर की प्रकृति के अनुसार दिया जाता है फिर भी इसके प्रयोग के कुछ सामान्य तरीके़ हम आपको आगे बताएँगे.
कंचनार गुग्गुलु की ख़ुराक रोगी की उम्र, हेल्थ कंडीशन और समस्या की गंभीरता के अनुसार अलग-अलग हो सकती है. आमतौर पर, बड़ों के लिए सामान्य खुराक लगभग 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम है, जिसे दिन में दो से तीन बार लिया जा सकता है.
कंचनार गुग्गुलु को भोजन के बाद गर्म पानी से या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए. खाने के बाद लेने से इसके अब्जॉर्शन में मदद मिलती है.
आयुर्वेद में हर्बल फॉर्मूलेशन के असर को बढ़ाने के लिए कुछ अन्य पदार्थों को सहायक के रूप में प्रयोग किया जाता है. कंचनार गुग्गुलु के लिए त्रिफला, घी या सफ़ेद मक्खन और शहद को साथ में लेने से इसके गुणों को बढ़ाया जा सकता है.
कंचनार गुग्गुलु आमतौर पर एक सेफ मेडिसिन है लेकिन किसी भी अन्य हर्बल सप्लीमेंट की तरह, इसके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं; जैसे कि-
कंचनार गुग्गुलु कई रोगों की बढ़िया और सुरक्षित औषधि है लेकिन किसी भी अन्य दवा की तरह अलग- अलग रोगियों पर इसका प्रभाव अलग हो सकता है. इसका उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार और सावधानी के साथ करें ख़ासकर प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफ़ीडिंग के दौरान.
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2. Behera SK, Modi PK, Karthikkeyan G, Pervaje SK, et al. (2021). From LC-MS/MS metabolomics profiling of Kanchanara Guggulu to molecular docking and dynamics simulation of quercetin pentaacetate with aldose reductase. Bioinformation.
3. Patel JK, Dudhamal TS, Gupta SK, Mahanta V. (2015). Efficacy of Kanchanara Guggulu and Matra Basti of Dhanyaka Gokshura Ghrita in Mootraghata (benign prostatic hyperplasia.
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