Getting Pregnant
22 September 2023 को अपडेट किया गया
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Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
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प्रेग्नेंसी प्लान करने वाले कपल्स अक्सर उन सभी चीज़ों से दूर रहने की कोशिश करते हैं, जिनका प्रजनन क्षमता यानी कि फर्टिलिटी पर नेगेटिव असर होता है. ऐसे में कई कपल्स का सवाल होता है कि क्या वे प्रेग्नेंसी प्लान करने के दौरान ज़रूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक्स ले सकते हैं? अगर आप भी एक नन्ही-सी जान को इस दुनिया में लाने का मन बना चुके हैं, तो यह सवाल कभी न कभी आपके मन में भी आया होगा. चलिए इस आर्टिकल के ज़रिये डिटेल में जानते हैं कि एंटीबायोटिक्स का फर्टिलिटी पर क्या असर होता है. लेकिन उससे पहले जानते हैं कि आख़िर एंटीबायोटिक्स होती है क्या हैं!
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एंटीबायोटिक्स ऐसी मेडिसिन होती हैं, जो बैक्टीरिया फैलाने वाले इंफेक्शन से लड़ती हैं और किसी भी बीमारी या इंफेक्शन को फैलने से रोकती हैं. एंटीबायोटिक्स को कई तरीक़ों से लिया जा सकता है; जैसे कि-
यह गोलियाँ, कैप्सूल या तरल पदार्थ हो सकते हैं.
यह कोई क्रीम, स्प्रे या मलहम हो सकता है जिसे आप अपनी त्वचा पर लगाते हैं; जैसे कि आई ड्रॉप या ईयर ड्रॉप आदि.
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इसकी ज़रूरत आमतौर पर अधिक गंभीर संक्रमण के दौरान होती है.
एंटीबायोटिक्स आमतौर पर इंफेक्शन से निपटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेडिसिन हैं. जब कोई महिला गर्भधारण की कोशिश कर रही होती है, तो उस दौरान उसे एंटीबायोटिक्स और सर्दी की मेडिसिन से दूर रखा जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि एंटीबायोटिक्स का महिलाओं की फर्टिलिटी पर गंभीर रूप से कोई असर होता है. हालाँकि, इसका असर आपकी सेक्स ड्राइव पर ज़रूर पड़ सकता है. चलिए डिटेल में जानते हैं कि एंटीबायोटिक्स का महिलाओं और पुरुषों पर क्या असर होता है.
महिलाओं के मन में अक्सर यह डर होता है कि एंटीबायोटिक्स का असर उनके मासिक धर्म चक्र, ओव्यूलेशन या इम्प्लांटेशन पर होता है. हालाँकि, यह डर होना लाज़िमी भी है. ख़ासकर यह सवाल उन महिलाओं के मन में होता है, जो गर्भधारण की कोशिश कर रही होती हैं. इस समय वह ऐसा कोई काम नहीं करना चाहती, जो उनकी प्रेग्नेंसी के सफ़र में बाधा डालता हो.
बता दें कि सीमित मात्रा या सुझाई गई मात्रा में एंटीबायोटिक्स लेने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता को कोई नुक़सान नहीं होता है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने पीरियड्स, ओव्यूलेशन या इम्प्लांटेशन के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स असंतुलित हो सकते हैं. इसलिए एंटीबायोटिक्स पर अधिक निर्भरता न बढ़ाएँ.
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जिस तरह से गर्भधारण की कोशिश करने के दौरान महिलाओं के मन में एंटीबायोटिक्स से संबंधित सवाल आते हैं, ठीक उसी तरह पुरुषों के मन में भी ये सवाल उठते हैं. एंटीबायोटिक्स को पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी पर असर हो सकता है. कुछ रिसर्च के अनुसार कुछ एंटीबायोटिक्स जैसे कि टेट्रासाइक्लिन (tetracycline), डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline), सिप्रोफ्लोक्सासिन (ciprofloxacin), सेफ्टाज़िडाइम (ceftazidime), एमोक्सिसिलिन (amoxicillin) और क्लैवुलैनिक एसिड (clavulanic acid), आदि का स्पर्म की क्वालिटी पर असर होता है. यहाँ तक कि यह पुरुषों में फर्टिलिटी से संबंधित अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकते हैं. इसके अलावा, आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली अन्य एंटीबायोटिक्स जैसे मिनोसाइक्लिन (minocycline) का भी स्पर्म क्वालिटी पर नेगेटिव असर होता है.
अगर आप लंबे समय से एंटीबायोटिक्स का कोर्स फॉलो कर रहे हैं, तो इसका असर 3 महीने के बाद नहीं दिखता है. ऐसे में आप अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे हैं, तो एंटीबायोटिक्स बंद करने के तीन महीने बाद प्रेग्नेंसी के लिए ट्राई करें. हालाँकि, अगर इसके बाद भी आपके मन में कोई शंका होती है, तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं. आप उनसे एंटीबायोटिक्स के प्रभाव और कुछ सुरक्षित एंटीबायोटिक्स के बारे में जानकारी ले सकते हैं.
जब बात एंटीबायोटिक्स और फर्टिलिटी की आती है, तो सबसे पहला कदम यह है कि आप इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें. डॉक्टर को अपने प्रेग्नेंसी प्लान के बारे में बताएँ. ऐसा करने से वह आपको सुरक्षित मेडिसिन के बारे में बता पाएँगे. हालाँकि, अगर आप किसी विशेष मेडिसिन को लेते हैं, तो आप प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए 3 से 6 माह तक का इंतज़ार करें. इसके बाद आप टेंशन-फ्री होकर प्रेग्नेंसी प्लान कर सकते हैं.
रेफरेंस
1. Crowe, H. M., Wesselink, A. K., Wise, L. A., Wang, T. R., Horsburgh, C. R., Mikkelsen, E. M., & Hatch, E. E. (2021). Antibiotics and fecundability among female pregnancy planners: a prospective cohort study. Human Reproduction (Oxford, England)
2 McInerney, K. A., Hatch, E. E., Wesselink, A. K., Rothman, K. J., Mikkelsen, E. M., & Wise, L. A. (2017). Preconception use of pain-relievers and time-to-pregnancy: a prospective cohort study. Human Reproduction (Oxford, England)
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Ravish Goyal
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