Health & Wellness
9 January 2024 को अपडेट किया गया
हमारे देश भारत में एक कहावत है कि अगर आपका पेट ठीक है और आपकी पाचन शक्ति मजबूत है तो आप किसी भी बीमारी से लड़ सकते हैं. अगर पेट खराब,तो समझो आपका बीमार पड़ना तय है. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम(IBS Disease) भी पेट से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जो आपकी पाचन शक्ति को कमजोर बनाती है और आपकी ओवरऑल हेल्थ पर भी प्रभाव डालती है. हालांकि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) कोई गंभीर रोग नहीं है, लेकिन इसकी वजह से आपकी डेली लाइफ पर असर पड़ सकता है. चिंता की बात नहीं है क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है कि ये इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome meaning in hindi) क्या है और कैसे इससे निजात पाया जा सकता है वो भी आयुर्वेद की मदद से (Ibs treatment in ayurveda). चलिए जानकारी शुरू करते हैं -
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का मतलब क्या है?(Irritable bowel syndrome meaning in Hindi)
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर है जो बड़ी आंत (कोलन) को प्रभावित करता है और बड़ी आंत की गतिशीलता में सामान्य नहीं रह पाती है. इसके कारण पाचन तंत्र में शामिल अंगों को कोई नुकसान नहीं पहुँचता लेकिन उनके काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. पाचन में ये गड़बड़ी होने के कारण पेट में दर्द, सूजन, मल त्याग में बदलाव जैसे कब्ज या दस्त हो सकते हैं. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम को हिंदी में(Irritable bowel syndrome meaning in hindi) में ग्रहणी रोग कहते हैं.
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण (Irritable bowel syndrome symptoms in Hindi)
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण सभी व्यक्तियों में अलग-अलग दिखाई दे सकते हैं. इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं -
IBS के कारण, व्यक्ति के पेट में लगातार दर्द और भारीपन महसूस हो सकता है. ये दर्द कभी-कभी अचानक होता है तो कभी-कभी कई दिनों तक लगातार बना भी रह सकता है. पेट में बेचैनी बने रहने से व्यक्ति को तनाव बना रहता है जो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को और भी खराब बना देता है.
IBS के कारण, पेट में सामान्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि कब्ज और दस्त. मल में बदलाव भी दिखाई दे सकता है. ज्यादातर लोगों को खाने के तुरंत बाद मल त्यागने की इच्छा हो सकती है. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण दिन में कई बार मल त्याग करने की आदत बन जाती है जो सामान्य नहीं है.
पेट में गैस बनना, डकार आना और पेट में से आवाज आना भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का एक बड़ा लक्षण है. गैस के कारण पेट में दर्द की समस्या भी बढ़ती जाती है.
कभी-कभी सीने में जलन होना भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का एक लक्षण हो सकता है. लगातार एसिडिटी या तेज़ाब बनने लगे तो डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि ये इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का एक लक्षण हो सकता है.
IBS के कारण, व्यक्ति को कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती तो कुछ व्यक्तियों को बहुत ज्यादा भूख लग सकती है. भूख में बदलाव होना भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का लक्षण हो सकता है.
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से जूझ रहे लोगों को अपने मुहँ से बदबू आ सकती है और उनका स्वाद बिगड़ा हुआ रह सकता है. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का ये लक्षण भले ही छोटा सा नजर आए लेकिन ये भारी असुविधा का कारण बन सकता है.
लगातार सिर में में दर्द बने रहना और थका हुआ महसूस होना भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का एक लक्षण है. पाचन में कमी,पोषण में कमी का कारण बनती है जिसकी वजह से व्यक्ति को एनर्जी की कमी महसूस हो सकती है.
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आई.बी.एस) का सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है,दरअसल ऐसे कई कारण होते हैं जो मिलकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक के काम करने के तरीके को प्रभावित करते हैं, और जिनके कारण IBS की स्थिति पैदा हो सकती है.
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के उपचार के आयुर्वेद (Ibs treatment in ayurveda) की मदद ली जा सकती है जो इसे जड़ से खत्म करने में सक्षम है. आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन इसलिए भी लाभकारी है क्योंकि इनके साइड इफेक्ट ना के बराबर होते हैं और ये आपकी स्वास्थ्य समस्याओं को जड़ से खत्म करने पर बल देती हैं. ध्यान रखें कि अगर आपको कोई गंभीर लक्षण दिखाई दे रहा है तो डॉक्टर की सलाह के बिना कोई उपाय नहीं अपनाना चाहिए. आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह के बाद ही किसी उपचार को आरम्भ करें. आइए, जानते हैं आयुर्वेद, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए क्या-क्या उपाय सुझाता है?
सौंफ़ का पानी, जीरा और धनिया का सेवन करें.
अपनी भोजन में ज्यादा पौष्टिक तत्व शामिल करें, जैसे हरी सब्जी और मोटा अनाज
उबले हुए पानी में सोंठ और मिश्री मिलाकर पीना लाभकारी हो सकता है.
हिंग्वास्तक चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, हरीतिका चूर्ण का सेवन किया जा सकता है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर के साथ संपर्क करें और उनकी सलाह पर ही कुछ जड़ी-बूटियों का सेवन करें.
पवनमुक्तासन, वज्रासन, भुजंगासन और शवासन जैसे योग आसन करें.
अनुलोम विलोम और कपालभाती जैसे प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें.
नियमित रूप से खाना खाएं और सही समय पर सोएं.
समय-समय पर पानी पीने की आदत बनाएं.
डब्बाबंद और बासी आहार का सेवन न करें.
कृपया ध्यान दें कि इन सुझावों का अभ्यास करने से पहले एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति और स्थिति विभिन्न हो सकती है.
तो आपने जाना कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का मतलब क्या है और इससे निजात पाने में आयुर्वेद आपकी मदद कैसे कर सकता है. स्वस्थ दिनचर्या अपनाएं और आठ घंटे की नींद जरुर लें, इस तरह आप आप इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से छुटकारा पा सकते हैं. उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी. ये जानकारी आपके दोस्तों और परिवारजनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है इसलिए इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें.
Reference:
Nicolas Patel; Karen B. Shackelford, October 30, 2022.Irritable Bowel Syndrome
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Written by
Auli Tyagi
Auli is a skilled content writer with 6 years of experience in the health and lifestyle domain. Turning complex research into simple, captivating content is her specialty. She holds a master's degree in journalism and mass communication.
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