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12 December 2022 को अपडेट किया गया
जानिए ओवेरियन सिस्ट के कारण, लक्षण और उपचार
ओवेरियन या अंडाशय की सिस्ट स्त्रियों की एक आम समस्या है. आइये जानते हैं क्या होता है ओवेरियन सिस्ट में.
महिलाओं के प्रजनन अंगों में दो ओवरीज़ गर्भाशय के दोनों तरफ पेट के निचले हिस्से में होती हैं. हर महीने मासिक के दौरान इन ओवरीज़ में बंद थैली के आकार की एक संरचना उभरती है जिसे फॉलिकल्स के नाम से जाना जाता है. इन फॉलिकल्स से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन होर्मोंस निकलते हैं जो ओवरीज़ से मैच्योर एग रिलीज़ करने में सहायक होते हैं.
कुछ मामलों में मासिक चक्र खत्म हो जाने के बाद भी फॉलिकल्स का आकार बढता जाता है जिनमें तरल द्रव भरा रहता है और इसे ही ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है. सामान्यतया ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होती हैं और अपने आप ठीक हो जाती हैं. लेकिन यदि यह अपनेआप ठीक नहीं हों तो फिर यह परेशानी का कारण भी बन सकती हैं.
ओवेरियन सिस्ट के प्रमुख कारण --
आनुवंशिक प्रभाव
मोटापा
कम उम्र में मासिक की शुरुआत,
गर्भधारण में अक्षमता या हॉर्मोन्स का असंतुलन इत्यादि
ओवेरियन सिस्ट के लक्षण--
पेट के निचले हिस्से में रुक-रुक कर दर्द, भारीपन महसूस होना और चुभन
अनियमित पीरियड और अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होना
व्यायाम या सहवास के बाद पेल्विक ऐरिया में दर्द महसूस होना
जी मिचलाना, वैजाइना में दर्द इत्यादि
यदि इन लक्षणों के रहते सिस्ट का पता चलने पर भी उपचार न कराया जाए तो कई बार यह बढ़ते-बढ़ते कैंसर का रूप भी धारण कर लेती हैं. इसलिए समय रहते इनका उपचार करा लेना चाहिए
ओवेरियन सिस्ट का परीक्षण
शुरूआती स्तर पर ओवेरियन सिस्ट को बिना सर्जिकल ट्रीटमेंट के दवाओं द्वारा भी ख़त्म किया जा सकता है. ऐसे में मासिक धर्म के दौरान शारीरिक लक्षणों पर नजर रखी जाती है. इस दौरान जब गर्भाशय में सिस्ट उभरते हैं तो यदि उस स्थान पर पहले से ही सिस्ट मौजूद हों जोकि ठीक नहीं हो रहे हों तो इससे महिला को परेशानी होने लगती है. पुराने सिस्ट पर दबाव पड़ने के कारण उनमें दर्द शुरू हो सकता है.
इसकी जाँच के लिए डॉक्टर एक से दो महीने में एक वैजाइनल चैकअप करते हैं जिससे सिस्ट के बढ़ने या घटने का पता लगाया जा सके. यदि एक से दो बार की जाँच के बाद भी ओवेरियन सिस्ट बने रहते हैं तो फिर इसके ट्रीटमेंट की शुरुआत कर दी जाती है.
ओवेरियन सिस्ट का इलाज
शुरूआती स्तर पर डॉक्टर इन सिस्ट को दवाओं के जरिये ठीक करने की कोशिश करते हैं.
लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पाता तो फिर सर्जरी के द्वारा इन्हें हटाना पड़ता है.
महिला को कुछ दिनों तक गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग भी करवाया जाता है ताकि ओव्यूलेशन के समय बनने वाले सिस्ट को रोका जा सके.
सर्जिकल उपचार जिसे सिस्टोमी कहा जाता है इसमें डॉक्टर पेट में छोटा सा चीरा लगाते हैं, जिसे लेप्रोस्कोपी कहा जाता है और इसके माध्यम से सिस्ट को हटाया जाता है.
यदि इसके वाबजूद भी सिस्ट असामान्य रूप से मौजूद हैं तो ऐसे में ओवेरियन कैंसर का खतरा होने के कारण डॉक्टर लेप्रोस्कोपी का सहारा लेते हुए पेट में थोड़ा बड़ा चीरा लगाकर सिस्ट को हटा देते हैं.
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Written by
Loveleen Gupta
A working mother with more than two decades of experience in writing for the publishing industry and digital space, Loveleen Gupta loves dabbling in creative writing also. A graduate from Miranda House, she uses her personal experiences to express herself.
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