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    Dental Health

    क्या प्रेग्नेंसी के दौरान मसूड़ों से खून आना सामान्य है?

    12 December 2022 को अपडेट किया गया

    मसूड़ों से खून आना और इनमें संवेदनशीलता (जिंजिवाइटिस) होना गर्भावस्था की एक आम शिकायत है. गर्भावस्था के दौरान हार्मोन की वजह से आपके मसूड़ों में सूजन आ सकती है, ये लाल हो सकते हैं और इनमें दर्द भी हो सकता है. इस वजह से बार-बार खून आ सकता है, खासकर के फ्लॉस या ब्रश करने पर. इस स्थिति को प्रेग्नेंसी जिंजिवाइटिस भी कहा जाता है.

    मसूड़ों से खून को आने से रोकने के लिए आप क्या कर सकती हैं?

    • आपके दाँतों पर लार, जीवाणु और भोजन की जो परत (प्लाक) बन जाती है, उसकी वजह से आपके मसूड़ों से खून आने की संभावना बढ़ती है. दाँतों पर प्लाक बनने से रोकने के लिए आप निम्न उपाय आज़मा सकती हैं:
    • अपने दाँतों को दो मिनट तक ब्रश करें, एक बार सुबह और एक बार रात में सोने से पहले. फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें.
    • यदि आपके मसूड़ों में दर्द हो तो मुलायम ब्रश का प्रयोग करें. आप विशेषकर संवेदनशील दाँतों के लिए आने वाला टूथपेस्ट भी इस्तेमाल कर सकती हैं.
    • यदि आप चाहें तो इलेक्ट्रिक टूथब्रश भी इस्तेमाल कर सकती हैं. आप टाइमर और छोटे रोटेशन वाले सिरे की इलेक्ट्रिक ब्रश ले सकती हैं. ये टूथब्रश प्लाक हटाने और मसूड़ों की सूजन कम करने में हाथ वाली ब्रश की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं.
    • सप्ताह में कम से कम तीन बार अपने दाँतों को फ्लॉस करें, जिससे प्लाक और फंसा हुआ खाना निकल सके. इससे खून निकलना भी कम हो सकता है. आप पतली इंटरडेंटल ब्रश का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. यदि आप इसके इस्तेमाल को लेकर निश्चित नहीं हैं, तो इस बारे में दाँतों के डॉक्टर (डेंटिस्ट) से बात करें.
    • अपनी तर्जनी उंगली और अंगूठे से मसूड़ों पर हल्की मालिश करें. अनावश्यक दबाव न डालें और धीमे-धीमे मालिश करें.
    • हर बार भोजन और स्नैक्स खाने के बाद अच्छी तरह कुल्ला करें. आप गुनगुने पानी में नमक डालकर या फिर किसी सौम्य माउथवॉश से कुल्ला कर सकती हैं. ध्यान रखें कि आप इसे अंदर न निगलें.
    • यदि आप माउथवॉश का इस्तेमाल करती हैं, तो अपने डेंटिस्ट से पूछ लें कि गर्भावस्था में या फिर स्तनपान करवाते समय कौन से प्रकार का माउथवॉश सुरक्षित रहता है.
    • अपने आहार में रिफाइंड शुगर का इस्तेमाल कम कर दें, क्योंकि मीठे से दाँतों में सड़न और मसूड़ों से जुड़े रोग हो सकते हैं.
    • यदि आप धूम्रपान करती हैं, तो इसे छोड़ दें क्योंकि धूम्रपान से मसूड़ों के रोग और बदतर हो जाते हैं.
    • यदि आपको मधुमेह है, तो अपने रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रण में रखें और नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास चेक-अप के लिए जाएं. जिंजिवाइटिस और मसूड़ों से जुड़ी बीमारियां मधुमेह से ग्रस्त लोगों में अधिक आम है. मसूड़ों के रोग का उपचार करवाने से ब्लड शुगर का स्तर बेहतर होने में मदद मिल सकती है और ब्लड शुगर के नियंत्रण में होने से मसूड़ों की परेशानियों में सुधार आ सकता है.
    • अमरूद के पत्ते चबाने या फिर माउथवॉश के तौर पर इनका इस्तेमाल करना मसूड़ों की समस्याओं का सदियों पुराना इलाज है. अक्सर माना जाता है कि यह सूजन कम करने में मददगार है.
    • प्लाक और दाँतों का मैल साफ़ करवाने के लिए नियमित तौर पर डेंटिस्ट के पास जाएं.

    क्या मसूढ़ों से खून आना अन्य समस्याओं की वजह बन सकता है?

    • जिंजिवाइटिस का उपचार न किया जाए, तो यह पीरियडोनटाइटिस का कारण बन सकता है. इसमें दाँतों को जबड़े में स्थिर रखने वाले उत्तक और हड्डी कमजोर होने लगती है।.
    • यदि आप पीरियडोनटाइटिस की वजह से होने वाली क्षति को रोकने के लिए डेंटिस्ट के पास नहीं जाएगी, तो आपके दाँत और मसूड़े और खराब होते जाएंगे. आपके मसूड़ों में इंफेक्शन हो सकता है और मवाद से भरी फुंसियां (एब्सेस) हो सकती हैं. आपके मसूड़ें दाँतों से अलग भी हो सकते हैं. इसके बाद दाँतों के नीचे के अस्थिबंध और हड्डी क्षतिग्रस्त होने लगेगी.
    • इससे आपके मसूड़ों और दाँतों के बीच की जगह (पॉकेट) बड़ी होती जाएगी, और आपके दाँत ढीले होने लगेंगे और एक या ज़्यादा दाँत गिर भी सकते हैं.
    • मगर आप चिंता न करें इतना अधिक नुकसान तभी होता है, जब बीमारी का लंबे समय तक कोई उपचार न कराया जाए. इससे होने वाली असहजता की वजह से लोग पहले ही डेंटिस्ट के पास चले जाते हैं और ज़रूरी उपचार करवा लेते हैं. इससे स्थिति ज़्यादा नहीं बिगड़ती.
    • क्या मसूड़ों के रोग से आपके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है?
    • इस बात के कोई स्पष्ट प्रमाण मौजूद नहीं है कि यदि आपको मसूड़ों से जुड़ी बीमारी हो, तो यह गर्भावस्था में आपके शिशु के स्वास्थ्य को सीधे तौर पर प्रभावित करेगी. मगर इसका यह मतलब हो सकता है कि आपका सामान्य स्वास्थ्य इतना अच्छा नहीं होगा जितना कि होना चाहिए. यदि आपको सेहतमंद रह पाने में मुश्किल हो रही हो, तो इससे आपके गर्भस्थ शिशु के विकास पर असर पड़ सकता है.

    कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पीरियडोनटाइटिस और निम्न स्थितियों के बीच संबंध है:

    • समय से पहले जन्मे शिशु
    • कम जन्म वजन वाले शिशु
    • गर्भावस्था की अन्य जटिलताओं

    बहरहाल, हम इन्हें लेकर निश्चित तौर पर नहीं कह सकते, क्योंकि अलग-अलग अध्ययनों के परिणाम भिन्न-भिन्न पाए गए हैं.

    यदि आप सेहतमंद आहार न खाएं या फिर आर्थिक चिंताओं की वजह से आपका घरेलू जीवन तनावपूर्ण चल रहा है, तो ऐसे में शिशु का जन्म समय से पहले होने की संभावना अधिक होती है.

    यदि आप अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हों, तो अपने डॉक्टर से बात करें. वे आपको सलाह दे सकते हैं कि आप स्वस्थ कैसे र​ह सकती हैं. आप दाँतों की सही देखभाल के लिए डेंटिस्ट के साथ अप्वाइंटमेंट भी ले सकती हैं. साथ ही, प्रसवपूर्व कक्षाओं में भी शामिल हो सकती हैं.

    आपको डेंटिस्ट से कब संपर्क करना चाहिए?

    • यदि आपके मसूड़ों से खून आ रहा हो और इनमे दर्द हो, या आपको कोई गांठ दिखाई दी हो या फिर आपको दाँतों में दर्द हो, तो डेंटिस्ट को ज़रूर दिखाएं.
    • अपने डेंटिस्ट को यह बताना न भूलें कि आप गर्भवती हैं, क्योंकि हो सकता है उन्हें आपकी दवाओं और उपचार में इसके अनुसार कुछ बदलाव करने हों.
    • अधिकांश डेंटल सर्जन एक सेफ्टी गाउन उपलब्ध कराते हैं, जिसे एक्सरे के दौरान आसानी से पहना जा सकता है. गर्भावस्था के दौरान दाँतों का उपचार करवाने पर लोकल एनेस्थीसिया के इस्तेमाल से कोई चिकित्सकीय समस्या नहीं होती है. यदि डेंटिस्ट इस बात को लेकर निश्चित नहीं हो कि आपको कौन सी दवाएं देना सुरक्षित रहेगा तो ऐसे में आप उनकी बात अपनी डॉक्टर से करवा दें.
    • यदि आपकी गर्भावस्था का आठवां या नौवां महीना चल रहा हो और आपको ऑपरेशन या फिर रूट कैनाल उपचार करवाने की जरूरत हो, तो डेंटल सर्जन शिशु के जन्म के बाद इसे करवाने की सलाह दे सकते हैं.
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    Written by

    Charu Pratap

    Charu has been a seasoned corporate professional with over a decade of experience in Human Resource Management. She has managed the HR function for start-ups as well as established companies. But aside from her corporate career she was always fond of doing things with a creative streak. She enjoys gardening and writing and is an experienced content expert and linguist. Her own experiences with motherhood and raising a baby made her realize the importance of reliable and fact-based parenting information. She was engaged in creating content for publishing houses, research scholars, corporates as well as for her own blog.

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