Fertility Problems
8 September 2023 को अपडेट किया गया
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
टिशू की असामान्य ग्रोथ को पॉलीप्स कहा जाता है और जब ऐसी ग्रोथ एंडोमेट्रियम यानी कि गर्भाशय की भीतरी लाइनिंग पर होने लगती है तो उसे एंडोमेट्रियल पॉलीप्स (Endometrial polyp meaning in hindi) कहा जाता है. ये आमतौर पर यूटरस के अंदर होते हैं, लेकिन कभी-कभी सर्विकल एरिया में भी पाए जाते हैं. इनसे सामान्यतः कैंसर का खतरा नहीं होता है हालाँकि ये कुछ और गंभीर समस्याएँ पैदा कर सकते हैं. आइये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
गर्भाशय की भीतरी लाइनिंग को एंडोमेट्रियम (endometrium) कहा जाता है जिस के साथ अटैच होकर प्रेग्नेंसी एस्टेब्लिश होती है. इस भीतरी दीवाल के अंदर जब असामान्य रूप से टिशू ग्रोथ होने लगती है इसे पोलिप्स (Endometrial polyp meaning in hindi) कहते हैं जो 40 और 50 वर्ष की आयु में अधिकतर होते हैं. एंडोमेट्रियल पॉलीप्स का आकार कुछ मिलीमीटर से लेकर कई सेंटीमीटर तक का हो सकता है. ये अमूमन नॉन कैंसरस (non-cancerous) होते हैं लेकिन बेहद कम मामलों में कैंसरग्रस्त भी हो सकते हैं. साथ ही समय पर इलाज़ न किए जाने की स्थिति में इनमें भी कैंसर पनप सकता है.
चलिए अब बात करते हैं इनके लक्षणों की.
एंडोमेट्रियल पॉलीप्स के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं और कुछ महिलाओं में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है. कुछ आम लक्षण इस प्रकार हैं
यह एंडोमेट्रियल पॉलीप्स का सबसे आम लक्षण है. इसमें महिला को लंबे समय तक पीरियड्स होने लगते हैं और सामान्य से बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग होती है. दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग और इरेगुलर पीरियड्स हो सकते हैं. मेनोपोज के बाद फिर से ब्लीडिंग हो सकती है जिसे पोस्ट मेनोपोज़ल ब्लीडिंग (Postmenopausal bleeding) कहा जाता है.
कुछ महिलाओं को पेल्विक पेन या पेट के निचले हिस्से में प्रेशर महसूस हो सकता है. इसके अलावा दर्द हल्का या ऐंठन भी होती है जो अक्सर पीरियड्स के दौरान बढ़ जाती है.
कभी कभी एंडोमेट्रियल पॉलीप्स के कारण महिला की फर्टिलिटी में भी कमी आ सकती है और प्रेग्नेंसी में कठिनाई आने लगती है. इनसे गर्भपात का खतरा भी बढ़ सकता है.
आगे आपको बताएँगे कि किन कारणों से होते हैं एंडोमेट्रियल पॉलीप्स.
बॉडी में किसी तरह के इंबैलेंस और एंडोमेट्रियम की वृद्धि के कारण पॉलीप्स बन सकते हैं.
एंडोमेट्रियल पॉलीप्स का पता लगाने कुछ ख़ास टेस्ट किए जाते हैं जो इस प्रकार हैं.
यह यह बेहद पॉपुलर इमेजिंग टेक्निक है जिसमें वेजाइना में एक छोटा अल्ट्रासाउंड कैमरा डाल के यूटरस के अंदर जाँच की जाती है. टीवीयूएस के द्वारा पॉलीप्स के आकार, स्थान और संख्या के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाती है.
इसमें वेजाइना और सर्विक्स से होते हुए यूटरस में एक पतली, रोशनी वाली ट्यूब (Hysteroscope) डाली जाती है. हिस्टेरोस्कोपी से एंडोमेट्रियल पॉलीप्स का न केवल पता लगाया जा सकता है; बल्कि उन्हें उसी दौरान हटाया भी जा सकता है.
एंडोमेट्रियल बायोप्सी में एंडोमेट्रियम का एक छोटा-सा सैंपल लिया जाता है जिसको लैब में टेस्ट करके पॉलीप्स या कैंसर के लक्षणों के साथ ही असामान्य सेल्स की पहचान करने में मदद मिलती है.
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड से पहले गर्भाशय में स्टेराइल सेलाइन (sterile saline) इंजेक्ट करते हैं. सेलाइन से यूट्रीन केविटी फैल जाती है जिससे एंडोमेट्रियम की और भी ज़्यादा साफ़ और बेहतर इमेज़ मिलती हैं. इनको देख कर एंडोमेट्रियल पॉलीप्स की पहचान करना ज़्यादा आसान हो जाता है.
ज़रूरी होने पर एम आर आई के द्वारा भी यूटरस और आसपास के अंगों की डिटेल्ड इमेज़ ली जाती हैं जिससे एंडोमेट्रियल पॉलीप्स के साइज़ और संख्या के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है.
इसे भी पढ़ें : यूटेराइन फाइब्रॉयड: अर्थ, कारण और रोकथाम !
एंडोमेट्रियल पॉलीप्स का ट्रीटमेंट कई बातों पर निर्भर करता है; जैसे कि इनका साइज़, महिला के लक्षण, उसकी उम्र और प्रेग्नेंसी की इच्छा के अलावा ये भी देखा जाता है कि क्या पॉलीप्स में कैंसर की कोई संभावना तो नहीं. इसके ट्रीटमेंट के कुछ तरीक़े इस प्रकार हैं.
एकदम छोटे पॉलीप्स जिनसे किसी तरह का खतरा न दिखे उन्हें कुछ समय के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है और समय -समय पर टेस्ट द्वारा इनकी निगरानी की जाती है ताकि कोई अन्य समस्या पैदा न हो.
हार्मोनल दवाएं; जैसे- प्रोजेस्टिन या ओरल कांट्रेसेप्टिव पिल्स भी एंडोमेट्रियल पॉलीप्स को कम करने या खत्म करने में मदद करती हैं. ये दवाएं हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करके पोलिप्स को कंट्रोल करती हैं.
हिस्टेरोस्कोपी से वेजाइना और सर्विक्स में एक विशेष इन्स्ट्रुमेंट डाला जाता है जिससे पॉलीप्स की पहचान करके उन्हें हटाया जा सकता है.
अगर पॉलीप्स बड़े हैं या हिस्टेरोस्कोपी संभव नहीं है, तो डी एंड सी किया जाता है. इसमें सर्विक्स को डायलेट करके यूटरस की अंदरूनी परत को अच्छे से साफ़ किया जाता है ताकि पॉलीप्स को हटाया जा सके.
यदि पॉलीप्स ज़्यादा बड़े हैं और यूटरस से जुड़ी अन्य समस्याओं का जोखिम पैदा कर रहे हैं तो ऐसे में हिस्टेरेक्टॉमी (hysterectomy) के द्वारा यूटरस को ही हटा दिया जाता है. लेकिन ऐसा तभी करते हैं जब ट्रीटमेंट के बाक़ी ऑप्शन न रहें या कैंसर का खतरा हो.
इसे भी पढ़ें : फर्टिलिटी पर कैसे होता है एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस का असर?
यदि आपको एंडोमेट्रियल पॉलीप्स की समस्या है तो डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या की सटीक स्थिति का पता लगाएँ और इलाज़ के विकल्पों के बारे में बात करें. ट्रीटमेंट से जुड़े रिस्क और साइड इफेक्ट्स को भली प्रकार समझें और साथ ही अगर भविष्य में आप बेबी प्लान करना चाहते हैं तो डॉक्टर को इस बारे में ज़रूर बताएँ ताकि वह आपके लिए सही ट्रीटमेंट ऑप्शन और ज़रूरी सावधानियाँ बता सकें.
रेफरेंस
Mansour T, Chowdhury YS. (2023). Endometrial Polyp.
Nijkang NP, Anderson L, Markham R, Manconi F. (2019). Endometrial polyps: Pathogenesis, sequelae and treatment.
Tags
Yes
No
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
View Profile
Written by
Kavita Uprety
Get baby's diet chart, and growth tips
Safed Musli Benefits in Hindi | इम्यून सिस्टम से लेकर लाइफस्टाइल तक में सुधार करती है सफ़ेद मूसली
Moringa Powder Benefits in Hindi | सेहत का सीक्रेट है मोरिंगा पाउडर!
Morning Sickness Meaning in Hindi | आख़िर प्रेग्नेंसी में क्यों होती है मॉर्निंग सिकनेस?
Anovulation Meaning in Hindi | एनोवुलेशन क्या है और यह गर्भधारण में कैसे बनता है परेशानी?
Chasteberry Benefits in Hindi | असंतुलित हार्मोन्स और फर्टिलिटी प्रॉब्लम? चेस्टबेरी कर सकती है आपकी मदद
Benefits of ACV Tablets in Hindi | क्या एप्पल साइडर विनेगर जितनी असरदार है ACV टैबलेट?
Mylo wins Forbes D2C Disruptor award
Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022
At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:
baby test | test | baby lotions | baby soaps | baby shampoo |