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18 October 2023 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंसी के दौरान पेट खराब होना या डायरिया (Diarrhea During Pregnancy in Hindi ) होना कॉमन है जिसके कई कारण हो सकते हैं; जैसे- हार्मोनल परिवर्तन, खान-पान संबंधित अनियमितताएँ या फिर किसी क़िस्म का इन्फेक्शन जिसके चांसेज प्रेग्नेंसी में सामान्य से अधिक होते हैं. बार बार दस्त होना (Loose motion during pregnancy in Hindi) माँ और बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह अन्य कॉम्प्लिकेशन का कारण बन जाता है.
प्रेग्नेंसी में डायरिया (Loose motion in pregnancy in Hindi) होना खतरनाक है क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है जो माँ और बच्चे दोनों के लिए घातक हो सकता है. डिहाइड्रेशन के अलावा इससे इलेक्ट्रोलाइट इंबैलेंस भी पैदा हो सकता है. लंबे समय तक दस्त होने पर ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स की कमी होने का कारण वज़न घटने की समस्या भी पैदा हो जाती है. आइये जानते हैं प्रेग्नेंसी में दस्त (Diarrhea in Pregnancy in Hindi) या डायरिया की समस्या क्यों होती है.
गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द और दस्त लगने के कई कारण हो सकते हैं; जैसे कि-
वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन पेट दर्द और दस्त का पहला और मुख्य कारण है. ऐसे में डिहाइड्रेशन और अन्य कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
गर्भावस्था में हार्मोनल उतार-चढ़ाव से डाइजेस्टिव सिस्टम प्रभावित होता है जिससे पेट में मरोड़, दर्द और कभी-कभी दस्त भी हो सकते हैं.
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को अक्सर भोजन के प्रति एक ख़ास क़िस्म की सेंसटिविटी उत्पन्न हो जाती है और कुछ फूड आइटम्स की खुशबू या तेज़ महक से भी उल्टी आने लगती है. साथ ही कुछ अन्य फूड आइटम्स का सेवन करने पर डाइज़ेशन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं.
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) या इन्फ़्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) जैसी कंडीशन से जूझ रही महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान ये लक्षण और भी ज़्यादा खराब हो सकते हैं और इस वजह से भी पेट में दर्द और दस्त लग सकते हैं.
प्रेग्नेंसी के दौरान दी जाने वाली कुछ दवाओं के भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइड इफ़ेक्ट होते हैं, जिससे डाइजेस्टिव समस्याएँ ट्रिगर हो सकती हैं.
इमोशनल स्ट्रेस और एंग्जाइटी भी प्रेग्नेंसी के दौरान डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित करते हैं, जो पेट दर्द और दस्त का कारण बन सकते हैं.
प्रेग्नेंसी के दौरान लाइफस्टाइल में कुछ ख़ास बदलाव और ज़रूरी प्रिकॉशन लेकर दस्त से बचा जा सकता है. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं;
इन्फेक्शन के रिस्क को कम करने के लिए अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएँ, ख़ासकर बाहर से आने और बाथरूम के इस्तेमाल के बाद.
कभी भी अधपके भोजन ख़ासतौर पर मीट या सी फ़ूड और अंडों का सेवन ना करें. फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएँ और पाश्चराइज्ड दूध का ही उपयोग करें.
डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए पर्याप्त पानी पियें. पानी की कमी से दस्त होने पर अन्य जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं.
अपनी डाइट में फल, सब्ज़ियों और साबुत अनाज का सही संतुलन मेंटेन करें. इनमें मौजूद फाइबर कब्ज़ और दस्त दोनों को रोकने में मदद करता है.
दही जैसे प्रोबायोटिक फ़ूड आइटम्स को अपनी डाइट में शामिल करें जो आँत के बैक्टीरिया का हेल्दी बैलेंस बनाए रखने में मददगार हैं.
मसालेदार, ऑयली और पचने में भारी भोजन आपके डाइजेस्टिव ट्रैक को डिस्टर्ब करता है. इसके बजाय हल्का और आसानी से डाइजेस्ट होने वाला भोजन चुनें.
ऐसे फ़ूड आइटम्स को पहचानें जो डायरिया या दस्त को ट्रिगर करते हैं और प्रेग्नेंसी के दौरान इनसे बचें. ये ट्रिगर फ़ूड हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है इसलिए अपनी बॉडी के रिएक्शंस पर ध्यान दें.
प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की ओवर-द-काउंटर दवा या सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें क्योंकि इनमें से कुछ चीज़ें डाइजेस्टिव समस्याएँ पैदा कर सकती हैं.
प्रेग्नेंसी के दौरान यात्रा करने से बचें. लेकिन अगर ऐसा करना ज़रूरी हो तो अलग-अलग जगह के फ़ूड आइटम्स और पानी के बारे में सावधानी बरतें क्योंकि ये पेट में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं.
1. प्रेग्नेंसी में डायरिया या दस्त से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए; जैसे कि-
2. पर्याप्त पानी पीते रहें या ओरल रिहाइड्रेशन (oral rehydration) ड्रिंक्स का प्रयोग करें.
3. ट्रिगर फ़ूड आइटम्स और इरिटेंट्स के सेवन से बचें.
4. डायटरी एडजस्टमेंट (Dietary adjustments) जैसे कि ब्रैट (BRAT) डाइट जैसे ऑप्शन अपनाएँ.
5. दस्त बार-बार होने या गंभीर रूप से होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें.
6. ओवर-द-काउंटर दवाओं और सप्लीमेंट्स के सेवन से बचें.
7. डॉक्टर की सलाह पर प्रोबायोटिक्स का सेवन करें.
8. शारीरिक थकान कम करने के लिए पर्याप्त आराम करें.
9. स्ट्रेस से बचने के लिए मेडिटेशन या माइंडफुलनेस जैसी टेक्निक का अभ्यास करें.
11. सेल्फ मेडिकेशन न करें.
इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में पीलिया: वजह, लक्षण और इलाज
हालाँकि, प्रेग्नेंसी के दौरान दस्त होने पर डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है लेकिन कुछ घरेलू उपाय आज़माने से कम तीव्रता वाले मामलों में राहत मिल सकती है. ऐसी कुछ होम रेमेडीज़ हैं,
स्टूल को टाइट करने के लिए केले, चावल, सेब से बना सौस और टोस्ट जैसे सॉफ्ट और डाइज़ेशन में फ़ूड आइटम्स का प्रयोग करें.
अदरक डाइजेस्टिव प्रॉब्लम में बहुत लाभकारी होता है. पेट की परेशानी को कम करने के लिए अदरक की चाय या जिंजर कैंडी आज़माएँ.
प्रोबायोटिक गुणों से भरपूर दही आँत में पाये जाने वाले गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है लेकिन पूरे फ़ायदे के लिए बिना चीनी या मसाला मिलाए सादा दही खाएँ.
पुदीना ड्रिंक या पुदीने की चाय डाइजेस्टिव ट्रैक को स्वस्थ रखने में मदद करती है.
रोज़ एक सेब खाएँ जिसमें पेक्टिन होता है, जो स्टूल को बाँध कर रखता है जिससे दस्त की समस्या में कमी आती है.
एक चम्मच सौंफ चबाने से भी डाइजेस्टिव ट्रबल कंट्रोल में रहता है.
दिन में दो बार पेट भर के खाने के बजाय 4-5 बार छोटे-छोटे मील्स लें जिससे पेट पर अधिक भार नहीं पड़ेगा.
इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी में क्यों होता है टाइफाइड?
प्रेग्नेंसी के दौरान कभी-कभी पेट में दर्द होना या दस्त होना सामान्य है और इसके लिए ज़्यादा चिंता की ज़रूरत नहीं है. खुद को हाइड्रेटेड रखने से यह स्थिति अक्सर ख़ुद ही कंट्रोल में आ जाती है. लेकिन अगर आपको लगातार दस्त के साथ मरोड़ या तेज़ पेट हो रहे हों तो ऐसे में बिना देर किए अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए.
1. Gomes CF, Sousa M, Lourenço I, Martins D, Torres J. (2018). Gastrointestinal diseases during pregnancy: what does the gastroenterologist need to know? Ann Gastroenterol.
2. Bonapace ES Jr, Fisher RS. (1998). Constipation and diarrhea in pregnancy.
3. Newman KL, Gustafson K, Englund JA, et al. (2019). Effect of Diarrheal Illness During Pregnancy on Adverse Birth Outcomes in Nepal.
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