Brain Development
8 August 2023 को अपडेट किया गया
नवजात शिशु की देखभाल करना हर मां के लिए थकान भरा काम हो सकता है. बच्चा कब मां के साथ इंटरैक्ट करना शुरू करेगा, इसका इंतजार मां को रहता है. मां पहले दिन से ही अपने बच्चे के साथ इंटरैक्ट करना शुरू कर देती हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता. जब बच्चों को खेलने के लिए कुछ मिलता है, तो वे उस पर प्रतिक्रिया भी देना शुरू कर देते हैं और अपनी हरकत को भी समझने लगते हैं. यह प्रक्रिया धीमी होती है और इसमें समय लगता है.
बच्चे के जन्म से पहले ही आप उससे बात करना शुरू कर सकते हैं. जन्म होते ही आप उनके साथ खेलना शुरू कर देते हैं. 17वें सप्ताह से पेट में मौजूद भ्रूण आपको सुन सकता है. इसलिए, बच्चे के विकास के लिए आप उनके लिए पढ़ना, गाना और दूसरी तरह के काम कभी भी शुरू कर सकती हैं.
1) अपने बच्चे के साथ जुड़ें – बच्चे के साथ बातचीत शुरू करें और जहां लगे कि वे बोलने की कोशिश कर रहें हैं, वहां रुक जाएं. जैसे ही बच्चा अपने माता-पिता की बात-चीत में शामिल होने की कोशिश करें, उसे ऐसा करने दीजिए. उसे आपकी अधूरी बात को पूरी करना का मौका दीजिए. उन्हें लोरियां सुनाएं. कोई भी काम उनके सामने करने से पहले उनसे बात करें. जैसे, - स्विच को फ़्लिप करने से पहले कहें कि मैं लाइट चालू करने जा रही हूं या मैं नहाने के लिए नल चालू करने जा रही हूं. उन्हें हर जगह गुदगुदी करें, खासकर उनकी टांगों में. ऐसा इसलिए क्योंकि हंसना किसी के भी भीतर सेंस ऑफ ह्यूमर विकसित करने की तरफ पहला कदम होता है. अपने बच्चे के सामने मजाकिया चेहरे बनाएं, अपने गालों को फुलाएं और बच्चे को अपनी नाक को छूने दें. उन्हें अपने कान खींचने दें. उन्हें अपना सिर थपथपाने दें. हर बार कुछ मजाकिया चेहरे बनाएं या कुछ अजीब आवाजें निकालें और फिर इसे 3 या 4 बार दोहराएं. उसके बाद, 5वीं बार उन्हें अनुमान लगाने का मौका दे. आप अपने बच्चे को चुटकुला सुना सकते हैं, ताकि आपके चुटकुलों पर वो हंस सके.
2) टीवी दिखाना बंद करें – आपके बच्चे का दिमाग आपके और आपके परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करना चाहता है. उन्हें टीवी शो की जरूरत नहीं है. भले ही वह कितना भी पढ़ाकू क्यों न हो. वे जो कहते हैं उस पर उन्हें तत्काल आपका जवाब चाहिए. टीवी से उन्हें जो रेस्पॉन्स मिल रहा है, वह नकली है. टीवी देखते समय, अगर वे किसी चीज को गलत नाम से पुकारते हैं, तो उन्हें ठीक करने वाला कोई नहीं होता है. लेकिन अगर वे अपने माता-पिता के साथ बैठकर एक किताब पढ़ते हैं, तो उनके माता-पिता उन्हें बताते हैं कि वह सही है या नहीं.
3) बच्चों के सेंस को विकसित करें – जैसे ही आपका बच्चा नई चीजें देखना और जानना शुरू करता है, उन्हें अपने आसपास की अलग-अलग सतहों को छूने दें. उन्हें अलग-अलग जगहों और गंधों का अनुभव लेने दे. अपने बच्चे का हाथ लें और उसे सख्त, मुलायम, खुरदरी और चिकनी चीजों पर रगड़ें और उनसे वे कैसा महसूस कर रहे हैं, इस बारे में बात करें. इस प्रकार का एक्सपोजर न केवल आपके बच्चे को उनके आसपास के माहौल के बारे में सिखाता है, बल्कि उनके कौशल और भाषाओं को भी बढ़ावा देता है. वे क्या हैं इसके बारे में उनकी सझ बढ़ती है.
4) अपने बच्चे से बात करें – जैसे ही आपका बच्चा पैदा होता है, उससे बात करने की कोशिश करें. वे आपकी बातों का जवाब न दे या न दे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अपने बच्चे की शुरुआती आवाज़ों की नकल करें और अपने बच्चे के साथ उसकी ही तरह बा-बा, गा-गा और दा-दा बोलें. अपने बच्चे को नाम या ऐसे शब्दों से बुलाए जिससे उसे पता चले कि उसको पुकारा जा रहा है. जैसे, "हाय, मेरी प्यारी/ मेरा लल्ला". मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल न करें. अपने बच्चे के साथ आसान भाषा में बात करें. उसे अपने हर काम के बारे में बताएं. उदाहरण के लिए, अगर आप बाजार जा रहे हैं या आप किराने की दुकान पर जा रहे हैं, तो उसे बताएं. आप बताएं कि आप अपने बैग में कुछ सेब रख रहे हैं. आप जो कुछ भी देखते हैं, महसूस करते हैं या छूते हैं, उसके बारे में बच्चे को भी बताएं.
5) इंटरैक्टिव खेल खेलें – बच्चे के लिए पहला और सबसे प्यारा खेल पीकाबू यानी लुका-छिपी है. यह आपके बच्चों के लिए एक रोमांचक खेल है जिससे वे समझते हैं कि कुछ मौजूद न होने के बावजूद भी मौजूद हो सकता है. जब आप गायब हो जाते हैं और फिर से दिखाई देते हैं, तो बच्चों में रोमांच आता है. उन्हें यह खेल मजेदार लगता है. आप कुछ इंटरैक्टिव गेम भी शुरू कर सकते हैं जो बच्चे के विकास को बढ़ावा दे. लुढ़कने वाले खिलौने आपके बच्चे को एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
सभी पैरेंट चाहते हैं कि उनके बच्चे का विकास सबसे अच्छे तरीके से हो. बच्चों के पहले पांच साल बेहद अहम होते हैं. वे आपके बच्चे के भविष्य, खुशी और सफलता को तय करने वाले साल होते हैं. अपने शिशु की देखभाल करने से बच्चे को मानसिक गतिविधि बढ़ाने में मदद मिलती है. इससे उन्हें पता चलता है कि लोगों से कैसे बात करनी है. गले लगाने, बात करने, गीत गाने और आंखों से इशारा करने से बच्चे उत्साहित होते हैं.
शिशुओं और बच्चों के लिए सबसे सही माहौल उनके अपने बिस्तर पर सोना होता है. उनका बिस्तर कपड़े या लिनन में पाए जाने वाले किसी भी हवा, गंदगी या धूल से मुक्त होना चाहिए. इससे उन्हें नींद अच्छी आती है, जिसका सीधा असर उनके मस्तिष्क और शरीर के विकास पर पड़ता है.
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Written by
Parul Sachdeva
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