Pregnancy Journey
8 August 2023 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंसी का सफ़र जहाँ एक ओर एक्साइटेड होता है, तो वहीं दूसरी ओर यह मुश्किल भरा भी होता है, क्योंकि इस दौरान एक महिला को कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुज़रना पड़ता है. लगभग हर रोज़ गर्भवती महिला किसी न किसी दर्द या डिस्कंफर्ट का सामना कर रही होती है. इस आर्टिकल के ज़रिये हम आपको प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले आम शारीरिक समस्याओं के बारे में बताएँगे.
गर्भ में बेबी के विकास के साथ ही महिलाओं को पेट दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है. हो सकता है कि प्रेग्नेंसी के शुरुआती समय में यह दर्द कम हो, लेकिन प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही आते-आते यह दर्द बढ़ जाता है.
शिशु के बढ़ने पर जो लिगामेंट्स गर्भाशय को थामे रखते हैं, वह दबाव पड़ने पर बाहर की ओर खिंचने लगते हैं. इसके कारण पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द के साथ मांसपेशियों में ऐंठन महसूस हो सकती है. तीसरे ट्राईमेस्टर के दौरान यह दर्द काफ़ी सामान्य बात है, क्योंकि तब गर्भाशय पूरी तरह से खिंचा हुआ होता है.
प्रेग्नेंसी के दौरान पीठ दर्द होना बहुत ही कॉमन है, क्योंकि वज़न और बढ़ते पेट के कारण पीठ पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और यह दर्द का कारण बन जाता है. कई बार ग़लत पोजीशन में बैठने या लेटने के कारण भी गर्भवती महिलाओं पीठ दर्द का सामना करना पड़ता है.
बढ़ा हुआ वज़न और थकान पैरों में ऐंठन का कारण बन सकते हैं. आमतौर पर गर्भवती महिलाएँ इस तरह की असहजता का सामना करती हैं.
अक्सर प्रेग्नेंसी के दौरान एक गर्भवती महिला का रूटीन बदल जाता है. साथ ही, इस दौरान नींद भी अनियमित हो जाती है, जिसके कारण सिर दर्द की समस्या होने लगती है. इसके अलावा, अनावश्यक तनाव भी प्रेग्नेंसी में सिरदर्द का कारण बनता है.
दूसरे और तीसरे ट्राईमेस्टर के दौरान मसूड़े बेहद संवेदनशील हो सकते हैं; इतना कि फ्लॉसिंग या ब्रश करते हुए इनमें से खून आने लगता है. परेशान न हों. मसूड़ों में सूजन और हल्का खून आना चिंता की बात नहीं है.
प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिनके कारण स्तनों (ब्रेस्ट) में दर्द होने लगता है. ब्रेस्ट का बढ़ता आकार और टाइटनेस अक्सर ब्रेस्ट पेन का कारण बनते हैं.
जहाँ हल्के-फुल्के शारीरिक दर्द को सामान्य माना जाता है, वहीं अगर आपके पेट में असहनीय दर्द या छटपटाहट होती है, जो कि मांसपेशियों के सामान्य दर्द से एकदम अलग है, तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. जैसे कि-
• ऊपरी पेट में दर्द के साथ सिरदर्द और कंधे में दर्द
• योनि से रक्तस्राव (Vaginal bleeding) के साथ पेल्विस या पेट में दर्द
सामान्य स्थिति में दर्द से राहत पाने के लिए, विशेष रूप से पैर और पीठ के दर्द में आयुर्वेदिक तेल मालिश का तरीक़ा काफ़ी असरदार है. शरीर में ऐंठन और दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए धन्वंतरम जैसे तेल को चुन सकते हैं. अगर आप प्रेग्नेंसी के दौरान सुरक्षित ऑइल को चुनना चाहती हैं, तो माइलो धन्वंतरम तेल (Mylo Dhanwantram Oil) को चुन सकते हैं. यह ऑइल तिल, आँवला, चंदन और अश्वगंधा जैसी नेचुरल व आयुर्वेदिक चीज़ों से बना है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली सूजन को कम करता है और बदन दर्द से राहत देता है. यह ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार करता है. इस ऑइल के इस्तेमाल के बाद आप तनाव मुक्त महसूस करेंगे. इतना ही नहीं, यह त्वचा को रिपेयर करने के साथ ही उसे मुलायम भी बनाता है.
उम्मीद है कि अब आप समझ गए होंगे कि प्रेग्नेंसी के दौरान एक महिला को किस तरह के दर्द से गुज़रना पड़ता है और किन स्थितियों में डॉक्टर से परामर्श करने की ज़रूरत होती है.
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Written by
Jyoti Prajapati
Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more
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