Diet & Nutrition
16 August 2023 को अपडेट किया गया
ग्नेंसी में संतुलित डाइट का अहम स्थान है और इसमें फल खास हैं. फल क्योंकि अपने प्राकृतिक कच्चे रूप में ही खाये जाते हैं इसलिए इनमें मौजूद सभी न्यूट्रीएंट्स और माइक्रो न्यूट्रीएंट्स का पूरा लाभ शरीर को मिलता है. लेकिन कई बार लोगों को इस बार की जानकारी नहीं होती कि गर्भवती महिला को कौन सा फल खाना चाहिए और प्रेगनेंसी में कौन सा फ्रूट नहीं खाना चाहिए. इस पोस्ट में हम आपके इन् सभी सवालों के जवाब देंगे.
प्रेगनेंसी में कौन सा फ्रूट खाना और नहीं खाना चाहिए
गर्भवती महिला को कौन सा फल नहीं खाना चाहिए यह बात पूरी तरह से उस फल की प्रकृति और उसके गुणों पर निर्भर करती है. कुछ फलों की प्रकृति गरम होती है और ऐसे फलों को खाने से आपको नुकसान हो सकता है इसी तरह कुछ फल नेचुरल लेग्क्सटिव की तरह काम करते हैं और इनके ज्यादा सेवन से लूजमोशन, यूट्रस में ब्लेडिंग, प्री टर्म लेबर और मिस्कैरेज जैसी स्थिति तक आ सकती है. कुछ अन्य फलों से आपको एलर्जी या थ्रोट इरिटेशन भी हो सकता है.
गर्भावस्था के दौरान फलों के फायदे
फल फोलेट, आयरन और कई तरह के मिनरल्स का प्राकृतिक स्रोत हैं जो एनीमिया से बचाते हैं.
बीमारियों से सुरक्षा के लिए मां और बच्चे दोनों के लिए विटामिन-सी आवश्यक है लेकिन हमारा शरीर इसे स्टोर नहीं कर सकता. विटामिन-सी युक्त फलों के सेवन से इसकी पूर्ति होती रहती है.
गर्भावस्था में कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त भोजन करना लाभकारी है. फलों में मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या से भी बचाव करता है.
प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने के बाद होने वाली माँ को प्रीक्लेम्पसिया यानि की हाई बीपी का जोखिम रहता है लेकिन फाइबर युक्त फलों के नियमित सेवन से इस समस्या से भी बचा जा सकता है.
प्रेगनेंसी में कौन से फ्रूट खाने चाहिए
अक्सर ये सवाल पूछा जाता है कि गर्भवती महिला को कौन सा फल खाना चाहिए. ज़्यादातर फल ऐसे हैं जिन्हें गर्भवती महिलायें खा सकती हैं हालांकि एक बार में बहुत अधिक मात्रा में खाने से बचना चाहिए. आइये जानते हैं उन फलों को जिनका प्रेग्नेंसी में नियमित सेवन करना चाहिए.
कीवी – खूब सारे फ़ौलिक एसिड वाली कीवी प्रेगनेंसी में फोलेट की कमी को दूर कर सकती है जिससे बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट्स की समस्या से बचाव होता है.
अमरूद - विटामिन सी से भरपूर अमरूद डायजेशन इंप्रूव करने में दवा का काम करता है. प्रेगनेंसी में कॉन्स्टिपेशन एक बड़ी समस्या है और अमरूद एक नैचुरल लेक्सेटिव की तरह काम करता है. इससे शरीर को विटामिन ई, पॉलीफेनोल्स और कैरोटेनॉयड जैसे पोषक तत्व भी मिलते हैं.
आम – आयरन, विटामिन ए और सी और से भरे हुए आम तुरंत एनर्जी देने, कमज़ोरी दूर करने और इमम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं. इसके अलावा आम में फाइटोऐस्ट्रोजेन, पॉलीफेनॉल, कैल्शियम, और पोटेशियम जैसे तत्व में प्रचुर मात्रा में होते हैं जिनसे डायजेशन ठीक होता है और प्रेगनेंसी में होनेवाली अपच, कॉन्स्टिपेशन और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं में राहत मिलती है.
नाशपाती - प्रेगनेंसी में फॉलिक एसिड बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास के लिए ज़रूरी है. नाशपाती में फॉलिक एसिड के अलावा विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं जिससे माँ और बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य में मदद मिलती है.
अनार - एंटीऑक्सीडेंट और फोलेट से भरपूर अनार प्लेसेन्टा और बच्चे की सुरक्षा के साथ बर्थ डिफ़ेक्ट्स से बचाव करने में भी सहायक है और इम्यूनिटी बढाता है.
संतरा - विटामिन सी का रिच सोर्स संतरा मां और बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाता है साथ ही इसमें पाया जाने वाला फोलेट बच्चे की ग्रोथ के लिए ज़रूरी तत्वों में से एक है.
संतरा – केला प्रेग्नेंसी में लगने वाली भूख में मिनी मील की तरह काम करता है. इसमें पोटेशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, आयरन, फोलेट जैसे कई पोषक तत्व होते हैं जो प्रेग्नेंट महिला के लिए लाभदायक हैं. मॉर्निंग सिकनेस को कंट्रोल करने में भी केला असरदार है.
प्रेगनेंसी में कौन सा फ्रूट नहीं खाना चाहिए
प्रेगनेंसी में कौन सा फ्रूट नहीं खाना चाहिए हिंदी, इसका जवाब है पपीता और अन्नानास.
पपीता- प्रेग्नेंसी में खास तौर पर शुरुवाती कुछ महीनों में तो पपीते का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए. अधिक मात्रा में इसे खाने से यूट्रस में कौंट्रेकशन्स शुरू हो सकते हैं जिससे मिस्कैरेज तक की नौबत आ जाती है.
अन्नानास – पाइनेपल भी एक ऐसा फ्रूट है जिससे बचना चाहिए. इसका सेवन प्रीमैच्योर डिलीवरी और यहाँ तक कि गर्भपात का कारण तक बन सकता है.
गर्भावस्था के दौरान फल खाते समय बरती जाने वाली सावधानियां
अब आप जान गए हैं कि गर्भवती महिला को कौन सा फल खाना चाहिए और गर्भवती महिला को कौन सा फल नहीं खाना चाहिए. अब आपको बताते हैं वो सावधानियां जो फलों के सेवन से जुड़ी हुई हैं.
प्रेग्नेंसी में हमेशा ऑर्गनिक फ्रूट्स खाने की कोशिश करें ताकि केमिकल और पेस्टीसाइड के प्रभाव से बचा जा सके.
फलों को साफ पानी में अच्छे से धोने के बाद ही खाएं.
अगर फलों में खरोंच या कट के निशान हों तो उनका छिलका हटा लें और ऊपरी परत हटा कर फिर खाएं क्योंकि इनमें संक्रमण हो सकता है.
जब खाना हो उसी वक़्त ताज़े फल काटें. पहले से कटे हुए फल न खाएं.
केवल ताज़े और अच्छी तरह से पके हुए फल खाएं.
उम्मीद है आपको ये पोस्ट पसंद आई होगी. ऊपर बताए गए फलों को आप बेफ्रिक होकर संतुलित मात्रा में नियमित रूप से खाएं और खुद को स्वस्थ रखें.
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Written by
Priyanka Verma
Priyanka is an experienced editor & content writer with great attention to detail. Mother to a 10-year-old, she's skille
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