Breastfeeding & Lactation
21 August 2023 को अपडेट किया गया
केवल ब्रेस्टफ़ीड लेने वाले बच्चों के लिए माँ का दूध ही एकमात्र आहार होता है और ऐसे में अगर माँ को कभी बुख़ार आ जाए और वह दूध न पिला पाए तो बच्चा परेशान हो जाता है. जो बच्चे फॉर्मूला फ़ीड नहीं लेते और सॉलिड फूड की उम्र तक भी नहीं पहुँचे हैं उनके साथ ये समस्या सबसे अधिक होती है. बुख़ार के दौरान माँ भी इस बात को लेकर कंफ्यूज रहती है कि फ़ीड कराना बच्चे के लिए सुरक्षित होगा या नहीं. आइये जानते हैं बुख़ार में बच्चे को ब्रेस्टफ़ीडिंग करवाना कितना सुरक्षित होता है!
यदि माँ को बुख़ार है तो (Breastfeeding during fever in Hindi) ब्रेस्टफ़ीडिंग करने का निर्णय इस बात पर निर्भर करता है कि बुख़ार किस वजह से आया है. ज़्यादातर मामलों में यह किसी तरह का बाहरी इंफेक्शन होता है.
कुछ मामूली इंफेक्शन ऐसे होते हैं जिनके कारण बुख़ार आने पर आप स्तनपान को सुरक्षित रूप से ज़ारी रख सकती हैं और इससे शिशु को फ़ायदा ही होता है क्योंकि माँं के दूध से मिलने वाले न्यूट्रीएंट्स और एंटीबॉडीज़ बच्चे को इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं.
सर्दी या फ्लू जैसी नॉर्मल बीमारियों के कारण बुख़ार आने पर आप बच्चे को सुरक्षित रूप से दूध पिला सकती हैं. हालाँकि, इस दौरान माँ को हाइजीन का पूरा ख़्याल रखना चाहिए. सामान्य सर्दी-खाँसी और बुख़ार में दी जाने वाली दवाएँ भी ब्रेस्टफ़ीडिंग के लिए सेफ होती हैं लेकिन इन्हें डॉक्टर से पूछ कर ही लेना चाहिए.
इसके अलावा कुछ बीमारियाँ ऐसी हैं, जिनमें बच्चे को इंफेक्शन से बचाने के लिए ब्रेस्टफ़ीडिंग को कुछ दिनों के लिए बंद कर देना चाहिए. ऐसे गंभीर इंफेक्शन होने पर जो मेडिसिन दी जाती हैं वो अक्सर ब्रेस्टफ़ीडिंग के लिए सुरक्षित नहीं होती हैं और डॉक्टर ब्रेस्टफ़ीड के बजाय फॉर्मूला मिल्क पिलाने की सलाह देते हैं.
नीचे दी गयी स्थितियों में डॉक्टर ब्रेस्टफ़ीडिंग को कुछ दिन रोकने की सलाह दे सकते हैं.
तेज़ी से फैलने वाला इंफेक्शन (Highly contagious infections): यदि माँ को बुख़ार किसी कम्युनिकेबल इंफेक्शन के कारण है; जैसे- एक्टिव ट्यूबरक्लोसिस (active tuberculosis) या वायरल इंफेक्शन, तो डॉक्टर बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए ब्रेस्टफ़ीडिंग बंद करने के लिए कहते हैं.
गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन (Serious bacterial infections): ऐसे सीरियस बैक्टीरियल इंफेक्शन जिनके लिए इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स (intravenous antibiotics) देने की ज़रूरत पड़े वहाँ भी कुछ समय के लिए स्तनपान बंद करने की सलाह दी जाती है.
गंभीर वायरल इंफेक्शन (Certain viral infections): कुछ वायरल इंफेक्शन; जैसे कि एच आई वी (human immunodeficiency virus) वायरस या ह्यूमन टी सेल लिम्फोट्रोफिक वायरस (human T-cell lymphotropic virus (HTLV-1), ब्रेस्ट मिल्क के ज़रिये फैल सकते हैं. इसलिए इनसे संक्रमित होने पर भी स्तनपान पूरी तरह बंद करवा दिया जाता है.
डिहाइड्रेशन (Dehydration): यदि माँ बुख़ार के कारण डिहाइड्रेटेड है तो भी डॉक्टर्स ब्रेस्टफ़ीडिंग को अस्थाई रूप से रोकने की सलाह दे सकते हैं. ऐसे में बच्चे को हाइड्रेटेड रखने के लिए फार्मूला या एक्स्प्रेस्ड ब्रेस्ट मिल्क (expressed breast milk) देने की सलाह दी जाती है.
अब आपको बताएँगे कि बुख़ार होने पर ब्रेस्टफ़ीडिंग (Breastfeeding during fever in Hindi) कराते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
बुख़ार की हालत में स्तनपान कराते हुए कुछ बातों का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए ताकि माँ को जल्दी ठीक होने में मदद मिल सके और इस दौरान बच्चे को भी इंफेक्शन से बचाया जा सके.
सबसे पहला और सबसे ज़रूरी काम ये है कि बुख़ार में आप अपने डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही ब्रेस्टफ़ीड कराएँ.
बच्चे को छूने और ब्रेस्टफ़ीड देने से पहले हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएँ. सर्दी जुखाम होने पर मास्क भी पहनें.
बुख़ार में डॉक्टर की अनुमति होने पर स्तनपान कराना ज़ारी रखें क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडीज़ बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं.
अपने इम्यून सिस्टम को मज़बूत रखने और मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए खूब सारे फ्लुइड्स लें और हेल्दी डाइट खाएँ.
रेस्ट करने से आपको जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी. पर्याप्त आराम करें.
यदि आपको सर्दी या गले में खराश के कारण ब्रेस्टफ़ीडिंग में असुविधा हो रही हो तो डॉक्टर द्वारा बताई गयी पेन किलर्स लें.
अगर आप को टेंपरेरी रूप से ब्रेस्टफ़ीड बंद करने के लिए कहा गया है या माँ इतनी ज़्यादा बीमार है कि वह सीधे स्तनपान नहीं करा सकती है, तो मिल्क फ्लो बनाए रखने के लिए ब्रेस्ट पंप से दूध निकालते रहें. इस दूध को बोतल या कप से बच्चे को पिलाया जा सकता है.
घर के काम और बच्चे की देखभाल में हेल्प के लिए परिवार की मदद या हाउस हेल्प रखें.
माँ के ठीक होने तक बच्चे के स्वास्थ्य पर लगातार नज़र रखनी चाहिए. अगर बच्चे में माँ की बीमारी का हल्का-सा भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
अब आपको बताते हैं कि बुख़ार होने पर आपको क्या नहीं करना चाहिए.
बच्चे के ज़्यादा नज़दीक जाने से बचें (Avoid close contact): अगर बुख़ार किसी संक्रामक बीमारी के कारण आ है तो बच्चे के साथ कम से कम कांटेक्ट में आएँ.
सेल्फ मेडिकेशन से बचें (Avoid self-medication): डॉक्टर की सलाह के बगैर ओवर-द-काउंटर मिलने वाली पेन किलर्स या इंफेक्शन की दवाओं का सेवन न करें क्योंकि स्तनपान के दौरान कुछ दवाएं सुरक्षित नहीं होती हैं.
पर्सनल आइटम्स शेयर करने से बचें (Refrain from sharing personal items): बच्चे में इंफेक्शन के रिस्क को कम करने के लिए माँ को अपने कप, बर्तन और टावल जैसी चीज़ें शेयर नहीं करनी चाहिए.
बाहरी गेस्ट का आना सीमित करें (Limit visitors): माँ से इंफेक्शन के खतरे के अलावा बाहरी कीटाणुओं से बच्चे को बचाने के लिए कुछ समय तक मेहमानों का आना सीमित कर दें.
स्ट्रेस से बचें (Avoid stress): स्ट्रेस आपके इम्यून सिस्टम और पूरी हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालता है इसलिए स्ट्रेस से बचें और ख़ूब रेस्ट करें जिससे जल्दी रिकवरी में आसानी होगी.
बुख़ार के दौरान अगर आपको दूध पिलाने से माना किया गया है तो आप ब्रेस्ट मिल्क की पंपिंग जारी रखें ताकि मिल्क प्रोडक्शन में कमी न आए. जैसे ही आपकी हेल्थ नॉर्मल हो जाए आप दोबारा फ़ीड कराना शुरू कर सकती हैं. हालाँकि ज़रूरी सावधानियों और हाइजीन का ख़याल रखकर बुख़ार के दौरान भी बच्चे को सुरक्षित रूप से ब्रेस्टफ़ीड कराया जा सकता है.
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3. Wang J, Ramette A, Jurca M, Goutaki M, Beardsmore CS, Kuehni CE. (2017). Breastfeeding and respiratory tract infections during the first 2 years of life.
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