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10 August 2023 को अपडेट किया गया
प्लेसिबो इफेक्ट न सिर्फ एक आकर्षक साइकोलॉजिकल फिनॉमिना है बल्कि एक लंबा इतिहास भी है. जबकि प्लेसिबो इफेक्ट सदियों से जाना और लिखा जाता रहा है, फिर भी हम इसके बारे में बहुत अच्छे से नहीं समझते हैं. इस ब्लॉग पोस्ट में, हम प्लेसिबो इफेक्ट के अर्थ और इफेक्ट्स के साथ-साथ यह कैसे और क्यों काम करता है, इसके बारे में कुछ सिद्धांतों का पता लगाएंगे.
प्लेसिबो इफेक्ट एक ऐसा फिनॉमिना है जिसमें व्यक्ति सही ट्रीटमेंट न होने के बावजूद किसी दवा या ट्रीटमेंट से पॉजिटिव रिजल्ट मिलने का अनुभव करता है. शब्द "प्लेसिबो" लैटिन शब्द "प्लेसेरे" से आया है, जिसका अर्थ है "खुश करना". प्लेसिबो इफेक्ट इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति मान लेता है कि दवा या ट्रीटमेंट काम करेगा, और यह विश्वास उनकी हेल्थ में पॉजिटिव चेंज की ओर ले जाता है. प्लेसिबो इफेक्ट की शक्ति को कई स्टडीज में दिखाया गया है, और इसे कई प्लेसबो-कंट्रोल क्लीनिकल ट्रायल्स की सफलता के पीछे प्रमुख मेकेनिज़्म में से एक माना जाता है.
ऐसे कई तरीके हैं जिनमें प्लेसिबो का इस्तेमाल किया जा सकता है. एक तरीका यह है कि उनका रिसर्च और स्टडीज में इस्तेमाल किया जाए. इन स्टडीज में, हिस्सा लेने वाले को आम तौर पर दो ग्रुप्स में बांट दिया जाता है, एक ग्रुप को जांच कराने के बाद वास्तविक ट्रीटमेंट मिलता है और दूसरे ग्रुप को प्लेसिबो मिलता है. यहाँ रिसर्चर यह देखता है कि क्या दिखने वाला इफेक्ट उस ट्रीटमेंट के कारण है या यह केवल प्रतिभागियों की उम्मीदों के कारण है.
एक और तरीका है कि प्लेसिबो का इस्तेमाल ट्रीटमेंट के रूप में किया जा सकता है. यह आमतौर पर उन केसेस में देखा गया है जहां किसी बीमारी का कोई इफेक्टिव ट्रीटमेंट पता नहीं है, जैसे कि क्रोनिक फटीग सिंड्रोम या इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम. इन मामलों में, रोगियों को बेहतर महसूस कराने में मदद करने के लिए प्लेसबो दिया जा सकता है. हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि प्लेसिबो वास्तव में इन बिमारियों को ठीक कर सकता है, पर अक्सर यह लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं.
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प्लेसिबो के प्रति पॉजिटिव रेस्पॉन्स में, प्लेसिबो लेने वाला व्यक्ति बेहतर महसूस कर सकता है क्योंकि वह बेहतर महसूस करने की उम्मीद करते हैं. सुझाव में बहुत शक्ति होती है और यह हमारे महसूस करने के तरीके को इफेक्ट कर सकती है.
प्लेसिबो के प्रति निगेटिव रेस्पॉन्स को नोसीबो इफेक्ट के रूप में जाना जाता है. इसमें प्लेसिबो लेने वाला व्यक्ति बुरा महसूस कर सकता है क्योंकि वह बदतर महसूस करने की उम्मीद करता है.
प्लेसिबो के लिए न्यूट्रल रेस्पॉन्स तब मिलता है जब व्यक्ति की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है. यह तब हो सकता है जब प्लेसिबो लेने वाले व्यक्ति को इस बारे में कोई उम्मीद नहीं होती कि वह कैसा महसूस करेंगे.
किसी भी कंडीशन के इलाज के लिए प्लेसिबो का इस्तेमाल करने का सोचने से पहले डॉक्टर से बात करना जरूरी है. हर किसी ट्रीटमेंट से कुछ रिस्क भी जुड़े होते हैं, प्लेसिबो से जुड़े रिस्क आमतौर पर बहुत कम होते हैं. यहां कुछ कंडीशंस दी गई हैं जहां एक प्लेसबो ने कुछ इफेक्ट दिखाया है:
डिप्रेशन एक मूड डिसऑर्डर है जो लगातार उदासी और इंट्रेस्ट ख़त्म होने वाली भावना का कारण होता है. यह प्रभावित करता है कि कोई व्यक्ति कैसा महसूस करता है, सोचता है और व्यवहार करता है, और इससे कई तरह की इमोशनल और फिजिकल समस्याएं हो सकती हैं.
स्लीप डिसऑर्डर (नींद संबंधी विकार) एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जो किसी व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह बिगाड़ सकती है. इंसोम्निया, स्लीप एपनिया और नार्कोलेप्सी सहित कई अलग-अलग प्रकार के स्लीप डिसऑर्डर हैं. स्लीप डिसऑर्डर कई तरह की समस्याएं जैसे थकान, दिन में नींद आना, फोकस करने में दिकक्तें और चिड़चिड़ापन पैदा कर सकते हैं.
दर्द एक यूनिवर्सल अनुभव है और जिसे मैनेज करना मुश्किल हो सकता है. पैनकिलर्स ही एकमात्र दर्द के इलाज के ऑप्शन हैं लेकिन इसके गंभीर साइडइफेक्ट हो सकते हैं. इस प्रकार, प्लेसिबो एक दूसरा ऑप्शन है जो दर्द को कम करने में इफेक्टिव हो सकता है.
जिस मैकेनिज़्म पर प्लेसिबो काम करता है, पूरी तरह से समझ में नहीं आते हैं, लेकिन यह माना जाता है कि वह दिमाग द्वारा दर्द के अहसास को बदलने का काम करते हैं.
इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (IBS) एक पुरानी बीमारी है जो बड़ी इंटेस्टाइन को इफेक्ट करती है. इसके लक्षणों में पेट दर्द, सूजन, गैस, दस्त और कब्ज शामिल हैं. IBS कमजोरी ला सकता है, पीड़ितों को काम या स्कूल जाने और सामान्य दैनिक गतिविधियों में भाग लेने से रोक सकता है. IBS का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके ट्रीटमेंट में लक्षणों से राहत देने पर फोकस किया जाता है ताकि पीड़ित बीमारी को मैनेज कर सकें.
मेनोपॉज़ एक महिला के जीवन का वह समय होता है जब उसे पीरियड आने बंद हो जाते हैं. यह आमतौर पर 51 साल की उम्र के आसपास होता है. मेनोपॉज़ कोई बीमारी नहीं है, लेकिन यह हॉट फ्लेशेस और वैजाइनल ड्राईनेस जैसे कुछ लक्षण पैदा कर सकते हैं. कुछ महिलाओं को मूड में बदलाव या सोने में परेशानी भी होती है. मेनोपॉज़ के इलाज के लिए किसी दवा की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर मेनोपॉज़ के लक्षण आपको परेशान करते हैं, तो ऐसे ट्रीटमेंट हैं जो मदद कर सकते हैं, जिनमें हार्मोन थेरेपी, वैजाइनल लुब्रिकेंट्स और एंटी डिप्रेशन दवाएं शामिल हैं.
अंत में, प्लेसिबो इफेक्ट मेडिकल रिसर्च और क्लीनिकल प्रेक्टिस दोनों पर असर डालने के साथ एक पॉवरफुल फिनॉमिना है. प्लेसिबो हेल्थ में रियल, मापने योग्य और क्लिनिकली महत्वपूर्ण सुधार ला सकता है. प्लेसिबो के रिस्पांस का बेसिक मेकेनिज़्म बहुत जटिल हैं और पूरी तरह से समझ में नहीं आते हैं, लेकिन इसमें साइकोलॉजिकल और बायोलॉजिकल दोनों फैक्टर्स शामिल हैं.
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Written by
Parul Sachdeva
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