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    Autism Spectrum in Hindi | ऑटिज्म स्पेक्ट्रम क्या है और क्या होते हैं इसके लक्षण?

    Autism Spectrum in Hindi | ऑटिज्म स्पेक्ट्रम क्या है और क्या होते हैं इसके लक्षण?

    Updated on 10 August 2023

    ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक बीमारी है जो आम तौर पर कम उम्र में शुरू होती है. यह एक मानसिक स्थिति है जिसमें बच्चे का समाज के साथ बातचीत करने और उसके समाजीकरण को गंभीर तौर पर प्रभावित हो जाती है. ऑटिज्म के लक्षण कई हैं, जैसे लोगों से संवाद या बातचीत करने में कठिनाई. हालांकि, ऑटिज़्म के सटीक लक्षणों की पहचान करने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि ऑटिज़्म क्या है और यह बच्चे को कैसे प्रभावित कर सकता है.

    औटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर क्या होता है? (What is Autism spectrum disorder?)

    औटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) या ऑटिज्म एक अंब्रेला टर्म है जिसका इस्तेमाल न्यूरो-डेवलपमेंटल समस्याओं को सामूहिक तौर पर परिभाषित करने के लिए किया जाता है. इस बीमारी से पीड़ितों के व्यवहार में अक्सर कुछ दोहराव वाला पैटर्न दिखता है. यह बीमारी लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में ज्यादा होती है. डॉक्टर भी औटिज़्म का मतलब और इसके होने की वजहों को सही-सही नहीं बता सके हैं. औटिज़्म का कोई भी इलाज ऐसा नहीं है जो इसे पूरी तरह ठीक कर पाए. हालांकि, कुछ थेरेपी और तरीके बच्चों को इस स्थिति में कुछ सुधार में मदद कर सकते हैं, लेकिन यह बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती.

    इसे भी पढ़ें : मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे बच्चे को सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर है ?

    औटिज़्म के संकेत और लक्षण (Symptoms & signs of autism Spectrum)

    औटिज़्म के कुछ सामान्य संकेत और लक्षण होते हैं -

    · औटिज़्म से पीड़ित व्यक्ति में सामाजिक संवाद के कौशल की कमी होती है, जोकि दूसरे हमउम्र लोगों में पाई जाती है.
    · एएसडी से पीड़ित लोगों में दोहराव वाले व्यवहार और रुचियां दिखाई देती हैं जोकि सामान्य नहीं होतीं.
    · ये स्किल्स को दूसरों के मुकाबले बाद में सीखते हैं.
    · एएसडी से पीड़ित कुछ लोगों में मिर्गी की शिकायत भी हो सकती है.
    · सोने और खाने का अनियमित समय.
    · डर का बिल्कुल न होना या बहुत ज्यादा होना
    · असामान्य मूड
    · अतिसक्रिय और आवेगी
    · पाचन से जुड़ी समस्याएं
    · संज्ञानात्मक सोच (कॉग्नीटिव थिंकिंग) देर से विकसित होना

    औटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर की स्क्रीनिंग और रोग का पता लगाना (Diagnosis and screening for autism spectrum disorder)

    एएसडी बीमारी का पता लगाना दूसरी बीमारियों से अलग होता है क्योंकि इसमें किसी तरह की खून की या शारीरिक जांच नहीं होती. हालांकि, डॉक्टर बच्चे के विकास से जुड़ी कुछ विशेषताओं की जांच-पड़ताल करते हैं. बच्चे में औटिज़्म को डायग्नोज़ करने के लिए डॉक्टर या पेशेवर चिकित्सक नीचे बताई गई जांच करते हैं.
    · वे देखते हैं कि बच्चा दूसरे लोगों से ठीक से बातचीत कर पाता है या नहीं और उसकी संवाद करने की स्किल कैसी है.
    · बच्चे की बोली, भाषा, व्यवहार और विकास के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए उसके कुछ टेस्ट लिए जाते हैं.
    · डॉक्टर बच्चे के टेस्ट के लिए बनाया गया एक सामाजिक संवाद करते हैं और उसके प्रदर्शन का आंकलन करते हैं.
    · वे डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर (DSM-5) में निर्धारित मानदंडों के आधार पर किसी बच्चे या व्यक्ति के प्रदर्शन का आंकलन करते हैं.
    · डॉक्टर बच्चे के कुछ आनुवंशिक विकार, जैसे कि रिट्ट सिंड्रोम को जांचने के लिए कुछ आनुवंशिक परीक्षण भी कर सकते हैं, जो कि इस स्थिति का कारण हो सकता है.

    औटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लिए थेरेपी और इलाज सेवाएं (Intervention and therapy autism spectrum disorder services)

    एएसडी के मुख्य मुद्दों को हल करने वाले प्रमुख हस्तक्षेपों (इलाज) में पर्याप्त प्रगति हुई है. हालांकि, एएसडी वाले व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए सही हस्तक्षेप की पहचान करना मुश्किल हो सकता है.
    कॉग्नेटिव थेरेपी औटिज़्म से पीड़ित लोगों को उनकी सामाजिक कठिनाइयों को कम करने में मदद करती हैं. एएसडी वाले व्यक्ति के लिए एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस मेथड्स और सोशल स्किल्स ग्रुप चीजों को आसान बना सकते हैं.
    वयस्कों और किशोरों में औटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism spectrum disorder in adults and teenagers)
    एएसडी से पीड़ित कई वयस्कों की किशोरावस्था और वयस्कता बहुत कठिन गुजरी होती है. . एएसडी वाले ज्यादातर किशोरों की स्थिति की वजह से उनके पास हमउम्रों की अपेक्षा कम अवसर उपलब्ध होते हैं. एएसडी वाले किशोरों में इसका नतीजा ज्यादा बेरोजगारी दर और शिक्षा में कम भागीदारी के तौर पर सामने आता है.
    इसके अलावा, उन्हें अपने पूरे जीवन भर वे अपने परिवार के साथ ही रहना पड़ता है. इस बीमारी से पीड़ित कुछ किशोरों के स्वास्थ्य में बदलाव देखा गया है और उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिससे समाज में उनकी भागीदारी पर नकारात्मक असर पड़ता है.

    इसे भी पढ़ें : न्यू बौर्न बेबी को स्वेडल करने के 5 मुख्य फायदे

    व्यवहरात्मक पद्यतियां (Behavioural methods)

    लड़कियों या लड़कों में औटिज़्म के लक्षणों की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर लोकप्रिय पद्यति व्यावहारिक विश्लेषण का इस्तेमाल करते हैं. यह एक ऐसी पद्यति है जिसमें व्यक्ति/पीड़ित के वांछित व्यवहारों को प्रोत्साहित किया जाता है. साथ ही, एएसडी वाले व्यक्ति के सामाजिक कौशल में सुधार के लिए अवांछित व्यवहार को हतोत्साहित किया जाता है. डिस्क्रीट ट्रेल ट्रेनिंग और पिवटल रेस्पॉन्स ट्रेनिंग व्यवहार को ठीक करने की दो सबसे प्रभावी पद्यतियां हैं.

    जोखिम होने के कारक (Risk factors)

    छोटे बच्चों में औटिज़्म उभारने वाले जोखिम के कुछ कारक हैं -
    · भाई-बहनों का एएसडी से पीड़ित होना
    · ट्यूबरस स्क्लेरोसिस या फ्रेजाईल एक्स सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक स्थितियों का मौजूद होना
    · जन्म के समय दिक्कतों का सामना करने वाले बच्चे
    · ज्यादा उम्र में मां-बाप बनना

    औटिज़्म से पीड़ित बच्चे को सामान्य तौर पर विकसित होने वाले बच्चों से अलग कैसे पहचाना जाए (How to distinguish an autistic child from children who are developing normally)

    चाइल्डहुड औटिज़्म के सबसे मुख्य लक्षणों में से एक यह है कि इससे पीड़ित बच्चे के सहज (स्पान्टेनस) होने की संभावना कम होती है और वह अक्सर चीजों की ओर इशारा नहीं करता है. औटिज़्म से पीड़ित बच्चा उदासीन दिखता है और अपने परिवेश से अनजान होता है. इसके अलावा, उन्हें उन शब्दों का उच्चारण करने में भी बहुत कठिनाई होती है, जिनका उच्चारण उनके साथी धाराप्रवाह कर सकते हैं.

    एएसडी होने की संभावनाएं कितनी होती हैं (How often does ASD occur)

    सिडीसी के औटिज़्म एंड डेवलपमेंट डिसएबिलिटीज़ मॉनिटरिंग (एडीडीएम) नेटवर्क डेटा के मुताबिक, चौवालिस बच्चों में से एक बच्चे में औटिज़्म डायग्नोस होता है.

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    Written by

    Parul Sachdeva

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